हुआ तिरंगे का अपमान
चीख चीखकर सबको बताया,
पर वो लाखों किसान जिनका तिरंगा अभिमान
क्यों न दिखाया,
हिंसा जो हुई
दिनभर वो चलाया,
जहां बरसे किसानों पर फूल
क्यों किसी ने न फिल्माया,
लोकतंत्र की हत्या
बस यही राग गाया,
जन गन मन से की उन्होंने शुरुआत
क्यों न बताया,
जय जवान जय किसान
भूल गई सरकार,
फूट डालो राज करो
फिर से दोहराया,
एक ही थे हम
ओर एक ही रहेंगे,
क्या फर्क पड़ता है
तुमने कितना ज़ोर लगाया.....
✒गुरजिंदर सिंह सिधर