हरियाणा में एच.सी.एस. (H.C.S.) अधिकारी को उसके गृह ज़िले में एस.डी.एम. (S.D.M.) पद पर किया जा सकता है तैनात
गत 18 दिसंबर को प्रदेश से पूर्व भाजपा लो.स. सांसद दिवंगत रतनलाल कटारिया के पुत्र चंद्रकांत को उनके गृह जिले पंचकूला में उपमंडलाधीश किया गया है तैनात
चंडीगढ़ - क्या किसी एच.सी.एस. - ई.बी.(हरियाणा सिविल सेवा- कार्यकारी शाखा) कैडर अधिकारी को उसी के ही गृह जिले में
अहम प्रशासनिक और प्रतिष्ठित पद अर्थात सब-डिविजनल ऑफिसर (सिविल)-- एस.डी.ओ.(सी) अर्थात उप-मंडल अधिकारी (नागरिक) जिसे एस.डी.एम. भी कहा जाता है के पद पर तैनात किया जा सकता है ? आम तौर पर माना जाता है कि नियमित सरकारी सेवा में कार्यरत गजेटेड ऑफिसर ( राजपत्रित अधिकारी) अर्थात ग्रुप ए और ग्रुप बी ( क्लास वन और क्लास टू) अधिकारियों को उनके गृह जिले में तैनात नहीं किया जा सकता है.
बहरहाल दो दिन पूर्व 18 दिसंबर 2024 हरियाणा सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा 47 एस.सी.एस. अधिकारियों के सम्बन्ध में जारी ताज़ा तैनाती एवं तबादल आदेश में 2020 बैच के एच.सी.एस. अधिकारी चंद्रकांत कटारिया, जिन्होंने प्रदेश सरकार के आधिकारिक रिकॉर्ड में उनका गृह जिला ( अर्थात परिवार का घर) पंचकूला घोषित किया है, को पंचकूला जिले में ही एस.डी.ओ. (सिविल ) अर्थात एस.डी.एम. तैनात किया गया है.कटारिया इससे पूर्व हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम ( एच.एस.आई.आई.डी.सी.) में बतौर ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर तैनात थे.
सनद रहे कि चंद्रकांत कटारिया अम्बाला (एस.सी. आरक्षित) लोकसभा सीट से कुल तीन बार भाजपा सांसद रहे और मई, 2019 से जुलाई, 2021 तक नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्रिपरिषद में राज्य मंत्री रहे रतन लाल कटारिया, जिनका गत वर्ष मई, 2023 में निधन हो गया था, के सुपुत्र हैं. चंद्रकांत की माता और भाजपा की वरिष्ठ नेत्री बंतो कटारिया ने इसी वर्ष अम्बाला लो.स. सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था हालांकि वह उसमें पराजित हो गई थी. चंद्रकांत आज से पांच वर्ष पूर्व दिसंबर, 2019 में हरियाणा सिविल सेवा (एचसीएस ) में चयनित होकर राज्य सरकार में क्लास वन अधिकारी बने थे..
इस विषय पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट एडवोकेट एवं प्रशासनिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार ( 9416887788) ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा वर्ष 1989 और 1991 और तदोपरांत भी संबंधित गृह जिले में प्रदेश के गजेटेड अधिकारियों की तैनाती नहीं करने के विषय पर हिदायतें जारी की जाती रही हैं जो आज तक लागू हैं एवं राज्य सरकार द्वारा समय समय पर सभी विभागों के प्रशासनिक सचिवों एवं विभागाध्यक्ष आदि को सर्कुलर पत्र जारी कर दोहराया भी जाता है एवं उक्त सरकारी हिदायतों की सख्ती से अनुपालना सुनिश्चित करने बारे निर्देश दिया जाता है.
हेमंत ने आगे बताया कि उपरोक्त सरकारी हिदायतों के अनुसार सामान्यत: गज़ेटेड अधिकारियों के विभाग द्वारा उनका तबादला कर सीधे उनके गृह ज़िले में तैनात नहीं किया जा सकता एवं सम्बंधित विभाग द्वारा प्रदेश के सामान्य प्रशासन (जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ) विभाग की पूर्व सहमति के पश्चात ही ऐसा हो सकता है हालांकि प्रदेश के सचिवालय में तैनात गज़ेटेड अधिकारी, प्रदेश के विभागाध्यक्ष , मंडलायुक्त, एक से अधिक ज़िलों के अधिकार-क्षेत्र में पड़ने वाले विभागों के कार्यालयों में कार्यरत अधीक्षक अभियंता (सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर- एस.ई ) एवं उक्त कार्यालयों में तैनात अन्य अधिकारी, शिक्षा विभाग में कार्यरत प्रोफेसर और सीनियर लेक्चरर एवं प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत डॉक्टर इसका अपवाद हैं अर्थात इन सभी पर उक्त नीति लागू नहीं होती.
नवंबर, 2020 में प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक पत्र में पुन: उल्लेख कर निर्देश दिया गया था कि विशेष तौर पर उल्लेखित उक्त वर्गों के अतिरिक्त शेष गज़ेटेड अधिकारियों को उनके गृह ज़िले में तबादला कर तैनात करने से पहले सामान्य प्रशासन विभाग से पूर्व स्वीकृति प्राप्त करनी आवश्यक है जबकि वास्तव में होता यह है कि ऐसे गज़ेटेड अधिकारियों को उनके सम्बंधित विभाग द्वारा उनके गृह ज़िले में तैनाती-तबादला करने के बाद स्वीकृति प्रदान करने के लिए मामला सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा जाता है जिसका सरकार द्वारा गंभीर संज्ञान लिया गया है. जहाँ तक आईएएस और एचसीएस अधिकारियों का विषय है, तो उनकी फील्ड पोस्टिंग (ज़िलों/उपमंडलों आदि में तैनाती) पर भी उक्त नीति लागू होती है.
हेमंत ने बताया कि प्रदेश के कार्मिक और सामान्य प्रशासन दोनों विभागों के प्रशासनिक सचिव राज्य के मुख्य सचिव होते हैं जबकि राजनीतिक तौर पर यह दोनों विभाग मुख्यमंत्री के अधीन आते हैं. प्रदेश में आईएएस और एचसीएस अधिकारियों की तैनाती और तबादले के आदेश मुख्यमंत्री द्वारा कार्मिक विभाग के मंत्री के तौर पर दिए निर्देशों की अनुपालना में मुख्य सचिव के हस्ताक्षर से जारी किये जाते हैं. अब जब किसी एचसीएस/आईएएस अधिकारी को कार्मिक विभाग द्वारा ही उसके गृह ज़िले में तैनात कर किया जाता है, तो क्या इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग की स्वीकृति की आवश्यकता होगी अथवा नहीं, यह देखने लायक है ?